यद्यपि एक विकसित न् याय व् यवस् था का अस् तित् व था, किन् तु कोई मानव अधिकार घोषणा पत्र नहीं था।
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संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार घोषणा का अनुच्छेद 26 यह वर्णन करता है कि अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने के चयन का प्राथमिक अधिकार है।
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संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार घोषणा का अनुच्छेद 26 यह वर्णन करता है कि अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने के चयन का प्राथमिक अधिकार है।
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इतिहास साक्ष्य है कि द्वितीय विश्व युद्ध में हुए विनाश, विध्वंस और दुर्दशा ने, संयुक्त राष्ट्र सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषणा (यूडीएचआर) 1948 के प्रवर्तन के माध्यम से मानव अध्ािकार की धारणा दी।
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कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व मानव अधिकार घोषणा में “हर मानव का अपने विचार व्यक्त करने” के अधिकार कवियों, लेखकों तथा उपन्यासकारों की एक गैर सरकारी संस्था पेन इंटरनेशनल के जोर डालने तथा अभियान करने पर रखा गया था.
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ये मूलभूत रूप में नागरिक एवं राजनीतिक प्रकृति के होते हैं और सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषणा (यूडीएचआर 1948) तथा अंतर्राष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्रतिज्ञापत्र (आईसीसीपीआर 1966) से व्युत्पन्न राज्य की ज्यादतियों से वैयक्तिक की रक्षा करने के कार्य करते हैं।
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कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व मानव अधिकार घोषणा में “ हर मानव का अपने विचार व्यक्त करने ” के अधिकार कवियों, लेखकों तथा उपन्यासकारों की एक गैर सरकारी संस्था पेन इंटरनेशनल के जोर डालने तथा अभियान करने पर रखा गया था.
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प्रत् येक नागरिक एवं राष् ट्र के लिये अन् तर्राष् ट्रीय मानव अधिकार घोषणा पत्र पर हस् ताक्षर करने वाले प्रत् येक देश का यह कर्तव् य है कि वे अपने यहाँ इन अधिकारों का संवर्द्धन तथा संरक्षण सुनिश् चित करें साथ ही प्रत् येक नागरिक के लिये इन अधिकारों को प्रभावी बनाने तथा उनका निरीक्षण करने के लिये जागरूक एवं प्रेरित किया जाना चाहिए।
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इराक में जिस गति से पत्रकारों को मारा जा रहा है उसके बारे में सीविप का अभियान कहता है, “अगर इराक में पत्रकार इसी तरह मरते रहे तो जल्द ही आप को स्वयं वहाँ से समाचार लेने जाना पड़ेगा”.कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व मानव अधिकार घोषणा में “हर मानव का अपने विचार व्यक्त करने” के अधिकार कवियों, लेखकों तथा उपन्यासकारों की एक गैर सरकारी संस्था पेन इंटरनेशनल के जोर डालने तथा अभियान करने पर रखा गया था.
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मुख्य मानव अधिकार एवं लोकोपकारी विधि संधियां 1948-सार्वभौम मानव अधिकार घोषणा, 1949-जिनेवा सम्मेलन,1953-कन्वेंशन फाॅर द सप्रेशन आॅफ द ट्रैफिक इन पर्सन्स,1957-विवाहित महिलाओं की राष्ट्रीयता संबंधी सम्मेलन,1959-जाति संहार के अपराध के निवारण तथा दण्ड विषयक सम्मेलन,1960-दासता, दास व्यापार तथा संस्थाओं एवं दासता के समतुल्य आचरण के उन्मूलन पर पूरक सम्मेलन,1961-महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों पर सम्मेलन,1968-सभी प्रकार के जाति भेद के विलोपन संबंधी सम्मेलन |